उनके बारे में माखनलाल जी लिखते हैं-रवि ठाकुर, रेशमी लबादा पहने हुए थे।
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शासन सत्ता के जिम्मेदार लोग भ्रष्टाचार में सराबोर होकर बेशर्मी का लबादा पहने हुए भारत के लोकतन्त्र को भीड़तन्त्र में तब्दील करके एक कुशल चरवाहे की तरह भारतीय जनमानस को जानवरों की मानिन्द हांक रहें हैं।
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शासन सत्ता के जिम्मेदार लोग भ्रष्टाचार में सराबोर होकर बेशर्मी का लबादा पहने हुए भारत के लोकतन्त्र को भीड़तन्त्र में तब्दील करके एक कुशल चरवाहे की तरह भारतीय जनमानस को जानवरों की मानिन्द हांक रहें हैं।
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भूत के साथ एक रात एक बार ट्रान्सिल्वानिया के एक शराबघर में-शाम के वक़्त-मैं एक दुबले-पतले, लम्बे से शख्स से मिला वह हैट लगाए हुए और काली सिल्क का एक लबादा पहने हुए था.उसने बताया कि उसे काउंट ड्रैकुला के नाम से जाना जाता है और देर रात डिस्को से घर लौट रही खूबसूरत जवान लड़कियों का शिकार करने के लिए वह अभी-अभी अपने शानदार ताबूत से बाहर निकलकर आ रहा है.